दाखिला लिया पहली कक्षा में,
हुआ स्कूल में आना जाना,
फिर हुयी मुलाकात उससे
बातों-बातों में दोस्ताना,
फिर साथ में बैठना,
साथ में पढ़ना,
खेलना-कूदना साथ में था,
पर पांचवी कक्षा बाद हुआ,
एक दूसरे को अलग होना,
दस साल अलग हम सब थे,
एक-दूसरे को भूल गए सब थे,
कोई भी किसी को याद न था,
पर किस्मत को शायद रास न था,
P.G.करने के लिए हम सब,
मिल गए एक ही Class में जब,
मुझको लगा शायद वो है,
उसको भी लगा शायद वो है,
पर पूछने की हिम्मत न हुयी,
लग गए महीने छः हमको,
फिर किया शुरुआत उसी ने तो,
कहा बड़ा घमंडी है तूं,
मुझको भी थोड़ा गुस्सा आया,
मैं भी थोड़ा सा गरमाया,
फिर प्यार का भूत सवार हुआ,
उसको भी मुझसे प्यार हुआ,
पर अब आगे कुछ न कह पाउँगा,
वरना घरवाली से पिट जाउँगा|
बजरंगी लाल यादवदीदारगंज,आजमगढ़, उत्तर प्रदेश