ना मुझमें कोई हो मर्म।
जिनके अच्छे होते कर्म।।
अंतर्मन की सब बात करें।
वो पीठ पीछे ना आघात करें।।
मनुज का है कर्म।
वातावरण को कर दिया गर्म।
ना करना है विश्राम।
पर करेंगें देश हित में काम।।
ना करना कोई शर्म।
जिनके अच्छे होते कर्म।।
गौतम कुमारबारीचक , मुंगेर (बिहार)