किसी को अहंकार है ,
ज़रा से ही ज्ञान का ।
किसी को अभिमान है ,
मान औ सम्मान का ।
कोई प्रफुल्लित रूप गर्वित,
प्राप्त प्रभु से चाम का ।
कोई अहम मे भ्रमित देखो,
सम्पदा की शान का ।
पर न उनको ज्ञान है ,
परमात्मा के काम का ।
मूर्ख खुद को श्रेय देते ,
जो कृत्य है प्रभु राम का।
सुषमा दीक्षित शुक्ला