रूठे रहेंगे आप मनाते रहेंगे हम ।
ये रीत इश्क की निभाते रहेंगे हम ।
तुम नफरतों की बात करते रहो युहीं ।
कांटों में दिल के फूल खिलाते रहेंगे हम ।
सौदा नहीं है प्यार, यह व्यापार नहीं है,
इस राह में हर हार भुलाते रहेंगे हम ।
आँखें नहीं ये सावनी झूला है आपका,
बैठे रहेंगे आप झुलाते रहेंगे हम ।
चाहें ना चाहें आप बुलाएँ ना बुलाएँ,
मंजिल हैँ आप तो फिर आते रहेंगे हम ।
प्रेमकुमार पाल
ग्राम ढबारसी, जिंदल नगर, ग़ाज़ियाबाद