बाप का दर्द उसे ही होता,
जिसके पास न बाप रे,
उसको क्या जो नित- दिन लड़ते,
अपने माँ बाप के साथ रे,
जबतक नई रिस्ते न थे,
करते थे मेहनत दिन रात वो,
मन व्याकुल हो जाता उसका,
जब न होता माँ बाप से बात रे,
बड़े थैलो में भरकर ले आता,
कपड़े और मिठाईयां साथ रे,
हर सुख दुःख की बाते करता,
बैठ माँ बाप के साथ रे,
छोटे भाई बहनों को भी,
करता न था कभी निराश वो,
बड़े ही प्यार से मिल-जुल कर,
रहता था सबके साथ रे,
नई बहुरिया आते ही,
फीकी पर गई वो बात रे,
कौन पूछे उस बूढ़े माँ बाप को,
ससुराल में करता अब वास रे,
सास ससुर बन गए हैं,
इनके नए माँ बाप रे,
वही कमा कर चला लेते हैं,
दाल रोटी और बात रे,
माधव झा