तपन कुमार के शेर
शनिवार, अप्रैल 18, 2020
ये सादगी ये बंदगी ये नजाकत ये हँसी ,
कैसे मान लू की तु हुस्न-ए लाजवाब नहीं
सोचा पुछु खुदा से, कैसे तराशा है तुझे ?
मैं अदना सा शायर ये मेरी औकात नही ।
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ye saadgee ye bandgee ye najaakat ye hansee,
kaise maan loo kee tu husn-e laajavaab nahi
socha puchhu khuda se kaise taraasha hai tujhe
main adana sa shaayar, ye meri aukaat nahi.
ये आँखे ये काजल , देखने की चाहत
डूबना चाहता हूँ , इन आँखों में तेरे !
अब डुबू या देखु मिलती नही राहत ।
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ye aankhe ye kaajal , dekhane kee chaahat
doobana chaahata hoon in aankho me tere
ab dubboo ya dekhu , milti nahi raahat.
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