चाहतें गम हर खुशी पहचान हैं।
ख्वाव में महकें सदा बन बंदगी,
ख्वाईशें अरमान नित सम्मान हैं।
ख्वाईश हैं कुदरती सुन्दर फ़िजां,
जिंदगी सोपान नित उपहार हैं।
मुस्कान की उड़ान भरती आस्मां,
स्वप्नों की खूबसूरत शृङ्गार हैं।
मंजिलें हैं बहुत सी इस जिंदगी,
छितरी पड़ी अधूरी चाहतें हैं।
हो ध्येय पाना मनसि दौलतों की,
प्रभु दर्शन सुलभ नित ख्वाईशें हैं।
राष्ट्र की सेवा स्वयं अरमान हो,
स्वयं बलिदान की ये चाहतें हैं।
बाप से आशीष लेना इष्ट हो,
चाह जीवन मरण की ख्वाईशें हैं।
सदा अधूरी बनी ये ख्वाईशें,
प्रिय मिलन उद्गार निर्मल धार हैं।
विपद में पतवार बन ये ख्वाईशें,
जिंदगी संजीविनी सुखसार हैं।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली