तज नापाकी वैर को , करो वतन सुखधाम।।१।।
मत जोड़ो आतंक से , हो मज़हब बदनाम।
दान मान कुर्बानियाँ , मतलब है इस्लाम।।२।।
पैदाईशी जिस जमीं , हिफ़ाजत मेरा फ़र्ज।
इज़्ज़त बख्सूँ हमवतन , कुर्बानी दूँ कर्ज़।।३।।
इल्मगार औरत मरद , सब मौला औलाद।
ख़ैरमकदमी सोच हो, मददगार फ़ौलाद।।४।।
सबमें हो इन्सानियत , सबमें हो ईमान।
सीख़ अदब़ अल्फ़ाज हो , पूरो हो अरमान।।५।।
खिले चमन खुशियाँ जहां,अमन चैन तकदीर।
नफ़रत शैतानी मिटे , मुल्क बदल तस्वीर।।६।।
एतबार है आपसी , मेल जोल पैगाम।
नेक दिली ईदी मिलन , हो नफ़रत हराम।।७।।
छोड़ो सब दकियानुशी, मज़हब का तकरार।
मददगार इन्सानियत, बरक्कत हो संसार।।८।।
ईद मुबारकबाद दूँ , मिले खुशी अरमान।
तन्दुरुस्त सुख चैन हो , जीएँ हिन्दूस्तान।।९।।
सदा प्रेम सद्भाव हो , सभी रहें खुशहाल।
ईदमुबारक आपको , अमन चैन हर हाल।।१०।।
भेद गरीब अमीर का , छोड़ गले मिल आज।
मदद करें मज़बूर की, हो मज़बूत समाज।।११।।
कवि निकुंज दे तोहफ़ा , मुहब्बती ए शाम।
थूको नफ़रत दहशती , रहें सुकूं अभिराम।।१२।।
अमन चैन स्नेही मिलन, आधारित त्यौहार।
होली या फिर ईद थी, अब बदले व्यवहार।।१३।।
कुर्बानी हर पाप का , मानवता आधार।
रहे अमन समरस मनुज ,ईद होलिका सार।।१४।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली