ममतांचल में पालकर, साश्रु नैन मुस्कान।।१।।
निज सन्तति बन रक्षिका,अम्बा तू आधार।।२।।
सींचा नित नैनाश्रु से , पावन माँ आभार।।३।।
किया समर्पित जिंदगी,पूर्ण पूत अरमान।।४।।
हम कपूत होते भले, तू निर्मल अभिराम।।५।।
झेल पराभव पूत का,मातु हृदय अनुनाद।।६।।
जीवन आज सुपात्र बन, यश गुंजे अलिगुंज।।७।।
जहाँ रहो ममतामयी , स्नेह रंग दे कान्ति।।८।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नव दिल्ली