गरज रहे हैं बादल,
बारिश आने वाली है।
जागी सी रात में,
मां दीया जलाने वाली है।।
पवन का झोंका आने वाला है,
तूफानों ने कर दी,रात काली है।
जागी सी रात में,
मां दीया जलाने वाली है।।
है इंतजार सुबह का मुझको,
क्यों सोई अब तक तू आली है?
जागी सी रात में,
मां दीया जलाने वाली है।।
नहीं भाता काला अधेंरा मुझको,
ओले,आंधी संग इसकी माली है।
जागी सी रात में,
मां 'कर्दम' को बचाने वाली है।।
ठहर वक्त कुछ मेरे लिए,
बारिश संघ आंधी भी चाली है।
जागी सी रात में,
मां दीया जलाने वाली है।।
मयंक कर्दम - मेरठ (उ०प्र०)