आज सुहानी रात में ।
अपना भी तो मदिर मिलन है,
फूलों की बरसात में ।
जग से छुपकर आयी प्रीतम,
दिल लायी सौगात में ।
सीने से तुम मुझे लगा लो ,
लो हाथ हमारा हाथ में ।
नयनों की डोली ले आओ ,
लेकर जाओ साथ में ।
सच कहती हूँ प्यार लुटाऊँ ,
सुबह शाम दिन रात में ।
नहला दो तुम आज प्यार से ,
बहके से जज्बात में ।
तुम बिन रहा न जाये प्रीतम,
चैन न दिन ना रात में ।
दूल्हा बन ले जाओ अब तो,
जनम जनम के साथ मे ।
चन्दा और चकोर मिलेंगे ,
आज सुहानी रात मे ।
सुषमा दीक्षित शुक्लाराजाजीपुरम , लखनऊ (उ०प्र०)