माँ हो तुम ममता का आँचल ,
माँ बैठ सदा सुख पाऊँ मैं ।
अश्रुपूरित भींगे नयनों से,
तुझे नमन पुष्प चढ़ाऊँ मैं।
तू जननी अनमोल स्नेहिला ,
कैसे दूध ऋण उतारूँ मैं।
तुम दर्शन अस्तित्व पूत का,
तव बिन जीवन रच पाऊँ मैं।
ममता समता करुणा संगम ,
पी पावन जल तर जाऊँ मैं।
कर तूने मुझ जीवन अर्पण ,
माँ कैसे मूल्य चुकाऊँ मैं।
सही सकल अपमान वेदना,
अम्ब दर्द भूल न पाऊँ मैं।
खड़ी ढाल बन हर बाधा में,
तुम मातु बिना बच पाऊँ मैं।
पोंछ पूत नैनाश्रु नेह नित ,
वह करुण हाथ कहँ पाऊँ मैं।
मातृहृदय वसुधा विशालतम,
गूढ़ मर्म समझ न पाऊँ मैं।
महाशक्ति नवरूप धरा तू ,
दे शक्ति गीत नित गाऊँ मैं।
वधू बहन बेटी माँ बनकर,
बहुरूप मंत्र जप पाऊँ मैं।
पशु विहंग जग सुर नर मानव,
नित पूज्य मातु यश गाऊँ मैं।
हूँ कुपूत , दी पीड़ अनेकों ,
ख़ुद क्षमादान कर पाऊँ मैं।
नित आती माँ स्मृति पटल में ,
बिन हाथ माथ सो पाऊँ मैं।
दी तूने जो शान्ति सुखद क्षण ,
कोख लाज पूत रख पाऊँ मैं।
निर्भय जो माँ कवच पहन नित ,
रक्षित तुझ बिन जी पाऊँ मैं।
स्वीकारो माँ नमन सुमन सुत,
माँ ममतांचल छिप जाऊँ मैं।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"नई दिल्ली