डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नयी दिल्ली
राधे बिन गोविन्द कहँ - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
सोमवार, मई 04, 2020
यदुनंदन ऋषिकेश प्रभु , बसे यमुन के तीर।
राधा दौड़़ी गल मिली , भरी आँख में नीर।।१।।
भव्य मनोहर रूपसी , नीर भरी लखि नैन ।
कमलनैन मुरली बजे , मिली राधिका चैन।।२।।
राधे राधे मम प्रिये , माधव भाव विभोर।
मैं कान्हा तेरा प्रिये , करो नहीं मन घोर।।३।।
उषाकाल तुम अरुणिमा , राधे तुम मुस्कान।
राधे बिन गोविन्द कहँ , मुरलीधर जग मान।।४।।
कवि निकुंज मन प्रेमरत,भक्ति सरसि सुखधाम।।
नंदलाल प्रिय राधिका,सफल जन्म अभिराम।५।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर