ना पाँव देंगे कभी , दलदलों में जमने।।
हौसलों को बुलंद करके,
नित आगे हमें बढ़ना है।
बाधाओं को रौंदकर हमें,
उस शिखर पर चढ़ना है।।
अंतर्मन की ऊर्जा को , ना देंगे हम कमने।
ठान लिया है शिखर पर , पहुँचने को हमने।।
मेरे चेहरे पर मुस्कान होगा ,
कदमों में सारा जहांन होगा।
हर इच्छा पूरी होगी मेरी ,
जो दिल में मेरा ईमान होगा।।
बाधाएँ नजर ना आयेगी , मेरे नजरों के सामने।
ठान लिया है शिखर पर , पहुँचने को हमने।।
गौतम कुमारबारीचक ,मुंगेर (बिहार)