तेरे आँसू के मोती को ,यूँ जवाब लिख दूंगा।।
चाहती हो अगर मुझको तो स्वभाब लिख दूंगा।।
दस्तक देता है दिल मेरा ,तेरा पैगाम अधुरा है,
न तू जाने न मै समझू,रातो मे ख्वाब लिख दूंगा।
किनारा है मेरा तू, मुझसे ज्जबात भिखरते है,
महोब्बत कर देख तू भी, बेताब लिख दूंगा।
छाया काजल का अंधेरा हैं,आंसू की बारिश मे,
मौसम सा बदन तेरा,यूं तलाब लिख दूंगा।
गिरे मोती पिरोने को, जरा धागा दे दो तुम,
पहनो माला गले मे,कांटो को गुलाब लिख दूंगा।
तरसती है आंखे ये, तेरी तस्वीर पुरानी है,
ना देखूं मै तुझको,आंखो पर नकाब ठक दूंगा।
दिवानो की बस्ती मे, महोब्बत खेल न कोई,
लग जा गले से तु, दुनिया लाजवाब लिख दुंगा।
मयंक कर्दम - मेरठ (उ०प्र०)