सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम , लखनऊ (उ०प्र०)
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तिरंगे में लिपटी शहादत को यूं ही नजरअंदाज नहीं किया जा सकता - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
तिरंगे में लिपटी शहादत को यूं ही नजरअंदाज नहीं किया जा सकता - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
शुक्रवार, जून 19, 2020
शहीदों की आत्मा हम लोगों का नमन तभी स्वीकार करेगी जब उनकी पवित्र शहादत का बदला ले लिया जाए।
वाकई चीन के नापाक इरादों को जवाब देने का वक्त आ गया है चीन की नापाक घिनौनी धोखेबाजी हालिया घटना से जाहिर हो चुकी है, जिससे हम सभी भारतीयों के दिलों में आग धधक रही है।
एल, ए, सी पर 21 भारतीय जवानों की शहादत से पूरा देश गहरे सदमे में है। भारतीय लोग अत्यंत दुखी हैं। मैं समझती हूं मोमबत्तियां जलाकर वीरों के बलिदान को नमन करने से क्या होगा, क्या वह ये नमन यूं ही स्वीकार कर लेगें उन्होंने हम लोगों के लिए अपनी जान दे दी। जब तक कि उनकी शहादत का बदला ना लिया जाए श्रद्धांजलि अधूरी है।
हां गुस्से में चीन के सामान का जो सामूहिक बहिष्कार सड़कों पर होली जलाकर किया जा रहा है यह सर्वथा उचित है। आखिर चीन की धोखेबाजी को क्यों बर्दाश्त किया जाए। अब आर-पार की लड़ाई का वक्त आ गया। हम भारतवासी आदिकाल से ही, पहले किसी शत्रु राज्य पर आक्रमण नहीं करते हैं, यही हम भारतीयों का प्राचीन काल से इतिहास रहा है। मगर शुरुआत शत्रु पक्ष से हो गई है तो उसका मुंहतोड़ जवाब देते हैं, यही हमारे भारत की परंपरा रही है।
अब इस लड़ाई का भी खात्मा भारत को ही करना होगा। अब बर्दाश्त नहीं करना है। बहुत हो गया हमारे वीर जवान हम सब के बेटे थे, भाई थे। उनकी मौत को यूं ही व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए।
हमारे देश से पैसे कमाकर चीन हम लोगों के लिए ही हथियार बनाता रहा है। अब चीनी सामान का बहिष्कार कर उनकी अर्थव्यवस्था को धूल चटा देना है।
सीमा पर खड़े हमारे सैनिक हमारा नेतृत्व कर रहे हैं ,रक्षा कर रहे हैं। अब सभी देशवासी उनके साथ हैं वह वहां अकेले नहीं है। अगर जरूरत पड़ी तो देश का हर नागरिक युद्ध में उतरने को तैयार रहेगा। हम लोग तो धन से, तन से, शस्त्रों से और मनोबल से हर तरह से ही अब सक्षम हैं ।किसी अन्य राष्ट्र की सहायता की भी जरूरत नहीं। वैसे तो चीन से किया गया कोरोना अटैक भी इसकी ही एक नापाक हरकत थी, जिससे ये पहले ही पूरे विश्व की नजर से गिर हुआ है और जिसके कारण पूरे विश्व की नफरत का शिकार है एवं अलग-थलग पड़ा है। भारत के साथ अन्य कई देश कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं, अमेरिका, जापान, ताइवान आदि।
चीन का तो इतिहास ही धोखे का है, इसने 1962 में हिंदी चीनी भाई-भाई का नारा लगाकर धोखे से भारत पर आक्रमण किया था। लेकिन नतीजा क्या हुआ ,इसको पराजय का मुंह देखना पड़ा। अब चीन को गोली की बोली में जवाब देना चाहिए इसके लिए हम सभी भारतीय तैयार हैं।
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