सीधी चलती प्यादा भी पास आने पर टेढ़ी चाल चल जाती है।
मैं अपनी वज़ीर को बचाने में लगा रहा
और वह चेक पर चेक देता गया।
मैं तो हाथी का सीधा चाल चलता था
और वे ऊँट की टेढ़ी चाल चलते थकते नहीं।
उसने ऐसे- ऐसे मोहरें चलाई कि
मैंने सुरक्षित रहना सीख लिया।
वज़ीर के हिमायत पर प्यादा ने आज राजा का मुँह चिढ़ा दिया।
उसकी गलती बस इतनी जो उसने मुझे प्यादा समझा
मेरे हौसलों ने मुझे एक-एक घर चलाकर मुझे वज़ीर बना दिया।
आज जिंदगी एक शतरंज सा हो गया है ग़ालिब
सीधी चलती प्यादा भी पास आने पर टेढ़ी चाल चल जाती हैं।
शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)