तो कभी तुम्हें अतीत की गलतियाँ रुलाती है
भूल जाओ क्या हुआ था अतीत में ,छोड़ो क्या होगा भविष्य में ,
मुस्कुराकर कहो , खुलकर आज को जिएँगे ।।
ए इंसान ना हम कल खुश थे , ना हम कल खुश होंगे ,
परेशानियाँ कल भी थी , परेशानियाँ कल भी होगी
छोड़ो कल की परेशानियों को , देख लेंगे आने वाली परेशानियों को ,
इसलिए मुस्कुराकर कहो , खुलकर आज को जिएँगे ।
ए इंसान अतीत को हम बदल नहीं सकेंगे ,
भविष्य में जाकर सपनों को गढ़ नही सकेंगे ।
किन्तु उसे पूरा वर्तमान में कार्य करके ही करेंगे ,
इसलिए मुस्कुराकर कहो , खुलकर आज को जिएँगे ।
ना हम अतीत का सोचेंगे ,ना अब भविष्य मे जाकर सोचेंगे
वर्तमान में जिएंगे और वर्तमान का सोचेंगे।
शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)