भूलो बीती जिंदगी , यायावर रणधीर।।१।।
छँटे कालिमा रात की , शुभ चिन्तन कर भोर।
मनसा वाचा कर्मणा , चलो सुपथ बिन शोर।।२।।
आएगा संकट विकट , घायल होगा ध्येय।
मार्ग समझ लो सिद्धि की , बढ़ो छँटेगा हेय।।३।
मिहनत अरु सत्कार्य का , बन्धन है अनमोल।
संयम दृढ़ता साथ हो , बनो सफल यश घोल।।४।।
आत्मबली विश्वास मन , नित जीवन संघर्ष।
शील त्याग गुण कर्म ही , हैं मानक उत्कर्ष।।५।।
बनो विनत बिन हीनता , सृजन नया अविराम।
कीर्ति फलक निशिचन्द्र सम,आह्लादक सुखधाम।।६।।
उषाकाल अरुणिम किरण , लाए सुमति विहान।
मिटे सकल दुख आपदा , खिले अधर मुस्कान।।७।।
प्रेम भाव सहयोग मन , हों खुशियाँ सुखसार।
मधु निकुंज पिक काकिली , हरा भरा संसार।।८।।
गूंज सतत माँ भारती , शान्ति प्रगति उत्थान।
वतन शहीदों को नमन , ध्वज तिरंग जय गान।।९।।
नयी शक्ति बन अरुणिमा , दे मानव संदेश।
सत्य प्रेम नित वीरता , राजधर्म परिवेश।।१०।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली