तुझे वो 1200 किलोमीटर तक ढोती,
काश तेरा भी विकास होता,
तुझे एक साइड मे बैल बन कर वो ढोता ।
काश तेरी भी बीबी होती,
वो भी तेरे साथ हजारो किलोमीटर चलती और रास्ते में उसका प्रसव होता
उस दिन तू पीड़ा और वेदना से मर जाता
काश तु भी किरायेदार होता,
तेरा भी मकान मालिक होता,
तेरा भी कमरा खाली करवा लेता
काश तु भी मजदूर होता
और रात को भुखा सोता।
काश तु भी बिहार से होता, गुजरात मे नौकरी करता,
और हजारों किलोमीटर पैदल जाना पड़ता।
काश तू प्रवासी मजदूर होता
दुपहिया वाहन पर भी तुझे सैकड़ों रुपए का टैक्स देना पड़ता
काश तु भी इन्सान होता,
तुझे भी अपनों के खोने का गम होता,
काश तु भी रेल का पैसैन्जर होता,
तेरी भी रेल हफ्ता लेट होती।
काश तेरे सीने में हृदय होता,
तुझे भी भुखे बच्चे, बुढे, औरतोँ की दशा पर रोना आता,
काश तू अंधभक्त ना होता
तब तेरा भी ये सवाल सरकार से होता!!
पम्मी कुमारी - रून्नीसैदपुर, सीतामढी (बिहार)