अमन की होगी सहर ।
फिर चमन गुलज़ार होंगे ,
खुशबुओं से तर ब तर ।
फिर वतन आबाद होगा,
भाग जायेगा कहर ।
अमन होगा चैन होगा ,
वतन में आठों पहर ।
गीत गाती हरित फसलें ,
फिर मिलेंगी खेत पर।
तितलियाँ फिर नृत्य करती,
गुलसितां पेशे नज़र ।
बालकों की टोलियां ,
फिर से मिलेंगी खेल पर।
फिर लगेंगे क्लास सारे ,
फिर न होगा जेल घर ।
फिर ढलेगी रात काली ,
सुकूँ से होगी गुज़र ।
चमन जैसा खिल उठेगा ,
वतन का साजो शज़र ।
फिर अमन की शाम होगी ,
अमन की होगी सहर ।
फिर चमन गुलजार होंगे ,
खुशबुओं से तर ब तर ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम , लखनऊ (उ०प्र०)