हमारी गली में न आया करो
खुशी से कहीं दम निकल जाए ना
महोबत न इतनी जताया करो
यहाँ रौशनी की कमी ही सही
मशालें जलाकर न लाया करो
हकीमों की सेहत बनाए रखो
इन्हें कुछ खिलाया पिलाया करो
इधर चैन है तो उधर है अमन
कभी खुशखबर भी सुनाया करो
यही ज़िंदगानी कुशादा बने
कभी गर्दनों को झुकाया करो
शज़र ही शज़र तुम यहाँ देखना
पके जो समर तो लुटाया करो
मनजीत भोला - कुरुक्षेत्र (हरियाणा)