पुष्पित पाटल साधु सम, सुरभित यश अनुराग।।१।।
हाँ वह अपने पास है , हम हैं उसके पास।
प्रेम भक्ति विश्वास हो , दिल में प्रभु का वास।।२।।
सच्चिदानन्द सुलभ जग , मन में हो विश्वास।
भक्ति प्रेम मधुशाल में , रमे वही प्रभु पास।।३।।
रामकथा अभिराम जग, त्याग कर्म आचार।
लोभ मोह छल झूठ तज , हो जीवन उद्धार।।४।।
कृष्ण मुरारी लाल में , बन मधुकर अनुराग।
कहाँ फँसा रे जग मनुज, भौतिक भागमभाग।।५।।
परहित हो मन भावना , महारुद्र विष पान।
बने जगत समधुर सरस , दे प्रकाश सुख ज्ञान।।६।।
स्वार्थ मीत ऐसी बला , लघुतर हो सम्बन्ध।
मिटे प्रेम सहयोग सब , फैले बस दुर्गन्ध।।७।।
अति लिप्सा मानक सदा, अहंकार मजबूर ।
चला सिकन्दर विजय जग, सपना चकनाचूर।।८।।
विजय सदा परमार्थ में , मिलती खुशी अपार।
जीना है जीओ वतन , हो जीवन उद्धार।।९।।
रोग मुक्त संसार हो , उषा किरण मुस्कान।
नीति प्रीति जीवन चले , मानवीय उत्थान।।१०।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली