सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उ०प्र०)
150 रुपये किलो साहित्य - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
सोमवार, जुलाई 27, 2020
ओहद !! यह तो अति चिंतनीय एवं निंदनीय है।
आखिर कलमकारों के इतना अपमान क्यूँ ?
कलमकार अपने साहित्य से समाज का मार्गदर्शन करता है उसमे सुधार और आवश्यक बदलाव लाने का प्रयत्न करता है, क्या यही कारण है ,यही सजा है साहित्यकार की?
संसार के प्रथम साहित्यकार महर्षि वाल्मीक से लेकर आज तक साहित्यकार समाज सुधारक ही तो रहा है।
फिर आखिर ऐसा क्यों?
वर्तमान परिवेश में साहित्य की ऐसी स्थिति वाकई खेद जनक है। रद्दी के भाव अनमोल साहित्य को बिकता देख मेरी तो आत्मा ही रो पड़ी है।
आखिर मैं भी तो एक साहित्य प्रेमी हूं और शायद साहित्यकार भी।
साहित्यकारों की वर्षों की मेहनत को तराजू में तोलकर किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है, उफ्फ्फ साहित्य मय भारत मे साहित्य की ये दुर्दशा।
साहित्य को डेढ़ सौ रुपए किलो के भाव बिकता देख इस उत्तर समाजवादी समय में समाजवादी किस्म का झटका सा लगा। किताब पढ़ने वाले को तोलकर खरीदने की पटरी विक्रेता से मिल रही है।
वैसे तो किताबों की दुनिया में पहले भी सस्ता साहित्य टाइप के भंडार बने तो कहीं मंडल बने, लेकिन साहित्य को तराजू में तोल रद्दी के भाव, यह तो साहित्य का अंतिम संस्कार ही समझो।
आखिर ऐसा क्यों हो रहा है ?क्या सचमुच साहित्य सस्ता हो गया है? क्या साहित्य पर अमेरिकी मंदी की मार पड़ी है? या उसकी नई सेल लगी है? शायद साहित्य का थोक के भाव मिलने का कारण अपनी लोकार्पण इंडस्ट्री तो नहीं?
इसका अर्थ तो यही है कि लोकार्पण कराने वालों ने साहित्य का भाव गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इस साहित्य मय भारत के 4000 नगरों व कस्बों में कुल कितना साहित्य हर महीने लोकार्पित होता होगा, शायद यही वह बिंदु है जिसने साहित्य की गरिमा को इतना नीचे गिरा दिया।
वर्षों की मेहनत के बाद पुस्तक व उपन्यास लिखने वालों का मान सम्मान कौड़ियों के भाव बिक रहा है, कितना दुःखद कितना शर्मनाक है।
साहित्यकारों की मेहनत को तराजू में तोल कर किलो के हिसाब से बेचकर उनके मुँह पर समाज का तमाचा सा नजर या रहा है शायद किलो के हिसाब से साहित्य को देखकर स्तब्ध हूं! आखिर साहित्य का इतना अपमान कैसे बर्दाश्त हो।
इसका क्या हल है?
मेरा सवाल स्वयं से भी है और समाज से भी, मैं भी तो एक अदना सी ही सही मगर साहित्यकार तो हूं, और मैं भी इस समाजवादी समाज का ही अंग भी हूँ ।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर