धीर वीर साहस प्रबल , कभी न खोएँ होश।।१।।
सदा नयापन सोच हो , दृढ़ता हो नित ध्येय।
सच्चाई हो साथ में , मानवता हो गेय।।२।।
रुकावटें टूटें सभी , हो कठिनाई दूर।
स्वाभिमान सत्संग से , रच दो नव दस्तूर।।३।।
यायावर नित सीढ़ियाँ , बने सदा संघर्ष।
बने विवेकी मति रथी , न्याय विजय उत्कर्ष।।४।।
करें प्रतीक्षा वक्त का , रच साँचा शुभकाम।
कुम्भकार बन वक्त पर , गढ़ सुपात्र अभिराम।।५।।
रखो जिंदगी ताजगी , जीवन दो परमार्थ।
सफल करो मानव जनम ,तज सांसारिक स्वार्थ।।६।।
आएगी अवसीदना , घनी छाएगी रात।
कठिन परीक्षा की घड़ी , फँसो नहीं जज़्बात।।७।।
खड्ग बने विश्वास जब , दिल में लगती चोट।
समझो आए सुखद क्षण , रखो नहीं मन खोट।।८।।
पाए हो जीवन अगर , जीओ उसको शान।
सोचो परसुख जिंदगी , पा लो यश सम्मान।।९।।
करो प्रेम माटी धरा , मातु पिता गुरु प्यार।
करो प्रेम निज देश से , प्रेम जगत आधार।।१०।।
रखो प्रेम श्रद्धा सुमन , ईश्वर जग आधार।
करो त्याग सेवा वतन , दीन दुखी उद्धार।।११।।
करो प्यार सेना वतन , भक्ति नमन बलिदान।
अर्पण कर जीवन मनुज , करो राष्ट्र अवदान।।१२।।
जन सेवा जीओ यतन , मरो वतन सम्मान।
नित निकुंज फूले फले , भारत बने महान।।१३।।
बनो जगत आशा किरण , नवांकुरित हो देश।
सत्य न्याय पुष्पित कुसुम ,प्रेम सुरभि संदेश।।१४।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली