पीन पयोधर शिखर सम, तन्वी नैन विशाल।।१।।
लाल यशोदा भाल पर , मोर मुकुट अभिराम।
देख राधिका कामिनी , पा दर्शन सुखधाम।।२।।
मनमोहन लखि राधिका , मन्द मन्द मुस्कान।
चलो रचाएँ रास हम , छेड़ें मुरली तान।।३।।
नंदलाल मुख चन्द्रिका , मग्न राधिका नैन।
कामदेव सम चारुतम , हर राधे की चैन।।४।।
नयन नीर भर प्रेम से , माधव मन अनुराग।
तनिक लजायी राधिका , आनंदित दिलबाग।।५।।
गायें ले कान्हाँ चले , मिले साथ गोपाल।
माखन मुरली हाथ में , केशव नटवरलाल।।६।।
लाल चुनरियाँ ओढ़कर , लायी लाल गुलाल।
छिपी लगायी कृष्ण को , अचरज में गोपाल।।७।।
लाल गाल गुलाल से , माधव मुख अभिराम।
राधा संग सब गोपियाँ , कृष्ण मना सुखधाम।।८।।
मुरलीधर घनश्याम मन , गोरी राधा खोय।
वामांगी गोविन्द की , हर्षित सुख मन होय।।९।।
यमुना तट नित चारुतम, कृष्ण राधिका संग।
मिली साथ सब गोपियाँ , रास रचा नवरंग।।१०।।
सुन मुरली संगीत को , दौड़ी आयी गाय।।
सुनी लजायी कोकिला, मृग द्विजगण सुख पाय।।११।।
यादवेन्द्र प्रिय राधिका , प्रेम रास अविराम।
मधु निकुंज दर्शन सुलभ , सफल जन्म भू धाम।।१२।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली