विमल हृदय शुभ चिन्तना, मिटे विघ्न सब शोक।।१।।
मितभाषी परहितमना, करें ईश मधुपान।
मातु पिता कर गुरु नमन ,पाओ यश सम्मान।।२।।
उद्यम हो जग नित सफल , आलस निद्रा हेय।
उषाकाल नवरंग से , रंजित हो नित ध्येय।।३।।
कोपमुक्त हो योग से , तनाव मुक्त सुशान्त।
प्रतिरोधक सब रोग का , ध्यान योग हर श्रान्त।।४।।
राजयोग नित तामसी , ज्ञान योग अभिराम।
कर्म योग उत्तम जगत , सत्य शील सुखधाम।।५।।
राष्ट्र भक्ति स्नेहिल हृदय , यथाशक्ति अवदान।
काल कबेला जिंदगी , परमारथ बलिदान।।६।।
संकल्पित ढृढ़ ध्येय हो , उद्यम हो नित संग।
बाधाएँ जो भी मिले , चढ़े सफलता रंग।।७।।
लोभ क्रोध का मूल है , क्रोध मूल सब पाप।
बुद्धिनाश हो पाप से, बुद्धिनाश अभिशाप।।८।।
हाथ सजे नित दान से , कण्ठ सजे नित सांच।
शुभे कर्ण नित शास्त्र से ,भूषण बिन क्या आँच।।९।।
कवि निकुंज अभिलाष मन,खिले चमन मुस्कान।
शान्ति सुखद समृद्धि हो , राष्ट्र विजय अभिमान।।१०।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली