पीछे से फिर कारगिल , आतंकी सह वार।।१।।
सियाचिन अरु ग्लेशियर , पड़ी बर्फिली साज।
गद्दारी की पाक बन , घुसपैठी हिमराज।।२।।
काँप रहे थे गात्र जब , जीरो नीचे ठंड।
आतंकी सेना चढ़ी , भारत करने खण्ड।।३।।
चली बसें सद्भावना , भारत से लाहौर।
बदले में घुसपैठ कर , पाक दिया झकझोर।।४।
जागी सेना वतन की , भृकुटी तान अभिमान।
छूट मिली सरकार की,अटल सैन्य बलिदान।।५।।
महाज्वाल बोफोर्स ने , साधा अचुक निशान।
बम वर्षण नित व्योम से, गगन वीर परवान।।६।।
महावीर जांबाज़ नित, जान बिना परवाह।
रात दिन चारों पहर , अरिदल किया तबाह।।७।।
महाकाल बन सैन्य बल , टूट पड़े नापाक ।
दाग बारुद व गोलियाँ ,जले आग हो खाक।।८।।
डेढ़ माह नापाक से , चला विकट संग्राम।
छह सौ वीर ने ज़ान दे , किया पाक नाकाम।।९।।
मरे हजारों सैनिकें , आतंकी इस पाक।
सियाचीन अरु द्रास पर,राष्ट्र ध्वजा की धाक।।१०।।
थर थर काँपा पाकबल,चहुँदिश पसरा शोक।
लहराये भारत शिखर , ध्वज तिरंग आलोक।।११।।
मुँह की खायी पाक ने, हुआ लोक धिक्कार।
कारगिल कर महाविजय,भारत जग सत्कार।।१२।।
पड़ी जगत की गालियाँ,अलग थलग हो विश्व।
दुस्साहस मिट्टी पलित , खतरे में अस्तित्व।।१३।।
आन बान अरु शान को , बढ़ा सुयश सम्मान।
चुका कर्ज़ माँ भारती , दिया राष्ट्र बलिदान।।१४।।
राष्ट्र धर्म सबसे प्रथम , जीवन हो अरमान।
लेना पड़े लाखों जनम, काम राष्ट्र निर्माण।।१५।।
आज पुनः सादर नमन, श्रद्धाञ्जलि दूँ नेह ।
हर शहीद के शौर्य से , संरक्षित हम गेह।।१६।।
नश्वर लघुतर जिंदगी , दें परहित में दान।
तन मन धन दें देश को , गात्र विरत हो ज़ान।।१७।।
वीर शहादत बीसवीं , है कृतज्ञ यह देश।
साश्रु नैन श्रद्धा सुमन , दे निकुंज संदेश।।१८।।
मनाएँ विजय दिवस हम,कारगिली बलिदान।
हों कृतज्ञ हर वीर का,विनत भाव सम्मान।।१९।।
धन्य मुदित माँ भारती , इतराती सम्मान।
कर्ज़मुक्त कर कोख का, ले सपूत बलिदान।।२०।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली