प्यार में डूबकर नित नहाते रहो
दीप का साथ बाती से छूटे नहीं
तेल से बातियों को मिलाते रहो
हो न पाए मुलाक़ात गर, तो सुनो
तुम ख़्यालों में ही आते-जाते रहो
बिगड़ी तक़दीर मेरी सँवर जाएगी
धड़कनों में ही आकर समाते रहो
दोस्ती में न दो उलझनों को जगह
भूल आपस की खुद ही भुलाते रहो।।।।
ममता शर्मा "अंचल" - अलवर (राजस्थान)