जीणा यो दुस्वार होग्या।।
भूल गया सुध - बुध मै तो,
जब तै तेरा दीदार होग्या।
तु दीखै तो चमक -चांदनी,
बिन तेरे अंधकार होग्या।
मेरी जान का दुश्मन तै यो,
बैरण तेरा सिंगार होग्या।
देख कै तेरी हुस्न - हवेली,
मेरा जिया बेकरार होग्या।
तेरी अदा का तीर मेरे,
दिल के आर - पार होग्या।
इब तो तुहे मेरी दुनिया सै,
और तुहे मेरा संसार होग्या।
तु भी होज्या मेरी इब तो,
सुण तेरा यो पँवार होग्या।
समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)