बचपन का छोटा सा शेखर - कविता - शेखर कुमार रंजन

बचपन का छोटा सा शेखर, 
कल तक कहानियां पढ़ता था
कभी सोचा नहीं था कि कभी,
खुद की कहानियां गढ़ेगा।

बचपन का छोटा सा शेखर,
कल तक कविता याद करता था
कभी सोचा नहीं था कि कभी,
खुद की कविताएं सुनाएगा।

बचपन का छोटा सा शेखर,
दूसरों के गज़ल को सुनता था 
कभी सोचा नहीं था कि कभी,
खुद का गज़ल सुनाएगा।

बचपन का छोटा सा शेखर,
कल तक लेख को पढ़ता था
कभी सोचा नहीं था कि कभी,
खुद से लेखों को लिखेगा।

बचपन का छोटा सा शेखर,
कल तक गीतों को गाता था
कभी सोचा नहीं था कि कभी,
खुद की गीत सुनाएगा।

बचपन का छोटा सा शेखर,
किताबों से प्रार्थना करता था
कभी सोचा नहीं था कि कभी,
खुद की प्रार्थना किताब में लाएगा

बचपन का छोटा सा शेखर,
जो भाषण से शब्दों को लेता था
कभी सोचा नहीं था कि कभी,
खुद भाषण कर शब्द बाँटेगा।

बचपन का छोटा सा शेखर, 
जो प्यार का भूखा होता था
कभी सोचा नहीं था कि कभी,
इन्हे लोगों के भरपूर प्यार मिलेगा

शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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