दुनिया में मैंने बहुत कम देखा है
भैया सुनो न दीदी सुनो न,
मैंने माँ की आँखों को नम देखा है
दुनिया वाले भी बहुत करेंगे प्यार
ऐसा मैंने जमाने में भ्रम देखा है
भैया सुनो न दीदी सुनो न,
मैंने माँ की आँखों को नम देखा है
कोई और भी करेगा जतन जितना
माँ को बच्चों के लिए जतन देखा
भैया सुनो न दीदी सुनो न
मैंने माँ की आँखों को नम देखा है
मैंने जितने भी दर्द भरे गम देखा है
माँ के हाथों से ही मरहम देखा है
भैया सुनो न दीदी सुनो न
मैंने माँ की आँखों को नम देखा है
शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)