नारी पूज्यनीय सम्मानीय है
नारी जगत की संस्कारनी है
वह नारी ही तो है जिससे घर गृहस्थी सुचारू रूप से चलती है
वह नारी ही तो है जो जगत में कितनी ही दकियानूसी प्रथाओं से जूझती है
वह नारी ही है जब मां बनती है कितनी असहनीय प्रसव पीड़ा सहती है
वह नारी ही है जो बहन के रूप में भाई के हर सुख दुख में सम्मिलित होती है
वह नारी ही है जो पत्नी के रूप में पति का कंधा से कंधा मिलाकर हर क्षण साथ निभाती है
वह नारी ही है जो मां बनकर बच्चों का सर्वांगीण विकास करती है
अपनी जान से ज्यादा बच्चों की जान समझती है
हां यह बात अलग है
कुछ नारियां परिस्थिति बस ऐसी निकल जाती हैं
जिसके कारण पूरी नारी अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगा जाती है
जिसके कारण नारी का नाम समाज में कलंकित कर जाती है
लेकिन मुझे तो ऐसा लगता है
ऐसी नारियों के पीछे मुख्य भूमिका मैं वह बिगड़े आचरण हीन पुरुष वर्ग ही रहते हैं
वह नारी को बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर देते हैं
इसमें चाहे भूमिका
बिगड़े पिता की हो
बिगड़े पति की हो
बिगड़े भाई की हो
बिगड़े बेटे की हो
जिसके कारण भारत की आदर्श नारी को दस्यु सुंदरी बनने तक मजबूर होना पड़ता है
जिसके कारण वासना के भूखे भेड़ियों की शिकार बन जाती है
लेकिन सच में नारी नारी है
नारी जगत की दुलारी है
जगत की नजर में नारी सरस्वती लक्ष्मी महाकाली के रूप में पूजी जाती है
जो स्वाभिमान से हर नारी का सम्मान कराती है
नारी की गौरव गाथा से भारतीय इतिहास भरा पड़ा है
जिसमें रामचरितमानस ऐसा ग्रंथ है जो सबसे आगे खड़ा है
क्योंकि सीता का त्याग सीता का चरित्र और समर्पण समाज में प्रासंगिक बना है।
डॉ. ओम प्रकाश दुबे - करैरा, शिवपुरी (मध्य प्रदेश)