पावन भाई बहन का , प्रेम सरित रसधार।।१।।
कच्चा धागा प्रेम का , पक्का धागा प्रीत।
भाई बहन अद्भुत मिलन , प्यार भरा संगीत।।२।।
राखी शुभ रक्षा कवच , बहना का विश्वास।
भातृहृदय उद्गार यह , ममता का आभास।।३।।
मातृ समा बहना हृदय , स्नेहांचल नित छाँव।
भाई का शुभ आगमन , होता स्नेहिल भाव।।४।।
थाल सजा बहना खड़ी , ले अक्षत सिन्दूर।
दीप जला नयना मुदित , राह देखती नूर।।५।।
सज सोलह शृङ़्गार तनु , चारु पहन परिधान।
विदा बहन ससुराल से , चली भातृ सम्मान।।६।।
देख बहन मुस्कान को, कुसमित भाई फूल।
सुरभित मन पुलकित हृदय,मुदित बहन अनुकूल।।७।।
बांध कलाई राखियाँ , तिलक चाउर कपाल।
दीप जला कर आरती , मुदित बहन की चाल।।८।।
सजी कलाई मुदित मन , भाई दे उपहार।
बहना को रक्षा वचन , दे खुशियाँ सुखसार।।९।।
बहना स्नेहाशीष से , ले भाई को चूम।
अवगाहन स्नेहिल सलिल , मची आज है धूम।।१०।।
समरसता त्यौहार यह , राखी सूत्र अमोल।
सर्वधर्म सम्भाव का , स्नेह सुधा रस घोल।।११।।
सिन्धु घाटी चली प्रथा , स्नेहिल आशीर्वाद।
मातु पिता गुरु श्रेष्ठजन , पावन हृदय प्रसाद।।१२।।
कर्णवती रक्षाकवच , बाँध हिमायूँ हाथ।
चली प्रथा भाई बहन , प्रेम सुधा रस साथ।।१३।।
सजीं दूकानें राखियाँ , भीड़ भाड़ बाज़ार।
पावन शुभ रक्षा दिवस , भाई बहन सुखसार।।१४।।
जाति धर्म बिन भेद के , राखी पर्व महान।
श्रावण का पूनम दिवस , हो भाई द्युतिमान।।१५।।
कोरोना की आपदा , भाई बहन हैं दूर।
राखी बिना कलाईयाँ , सूनी बन मजबूर।।१६।।
वर्धापन शुभकामना , भाई बहन सब आज।
बरसें खुशियों की घटा , राखी सूत्र समाज।।१७।।
राखी में संकल्प लें , सबल नारी समाज।
निर्भय शिक्षित रक्षिता , बनें बहन आवाज़।।१८।।
बहना विधि उपहार जग , कोमल चित्त उदार।
ममता करुणा माँ समा , दो रक्षा उपहार।।१९।।
कवि निकुंज करता नमन,ज्येष्ठ बहन माँ तुल्य।
रक्षक बन तव अस्मिता , पाकर नेह अमूल्य।।२०।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली