मधुरिम सहज उदारता , अनुपम सुख सहयोग।।१।।
आत्म नियंत्रण संयमी , अन्तर्मन हो पूत ।
सहनशील गुण धीरता , क्रोध करें आहूत।।२।।
करें प्रतीक्षा संयमित , दशा दिशा अनुकूल।
तबतक जीएँ शान्ति से , समय चले प्रतिकूल।।३।।
खुशियाँ मुख मुस्कान दें , जीएँ बस परमार्थ।
सुनें सभी को संयमित , बोलें समुचित अर्थ।।४।।
संयममय जीवन बने , वीत राग से मुक्त।
तजें अलस सद्कर्म पथ , मानवीय गुण युक्त।।५।।
लोभ क्रोध मन छल कपट , खोये मनुज विवेक।
खो संयम मतिहीन हो , पा जीवन व्यतिरेक।।६।।
सत्यपूत निर्मल हृदय , मानस उच्च विचार।
आत्म नियंत्रण संयमित , संचित मिटे विकार।।७।।
मर्यादित जीवन चरित , मन ईश्वर विश्वास।
संयम दृढ़तर आत्मबल , पूर्ण बने अभिलास।।८।।
स्नेहसिक्त आचार हो , संयममय मृदुभास।
पुलकित हो परहितमना ,सफल जन्म आभास।।९।।
संयम जीवन सारथी , जीवन रथ पुरुषार्थ।
धीर वीर नित संयमित ,विजयी समझो सार्थ।।१०।।
शील त्याग गुण कर्म सब ,चले संयमित लोक ।
दान मान सम्मान यश , फैले जग आलोक।।११।।
जीवन हो यदि संयमित , बचें व्यर्थ अवसाद।
बिना वैर जीएँ खुशी , पाएँ प्रीत प्रसाद।।१२।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली