सच्ची यारी किया करो - ग़ज़ल - अब्दुल जब्बार "शारिब"

जिन लोगों से रिश्तेदारी किया करो।
फिर बातें मत कारोबारी किया करो।

मतलब का ये मिलना-जुलना ठीक नहीं।
करना है तो सच्ची यारी किया करो।

छुप-छुप कर मिलने से प्यार मज़ा देगा,
इश्क़ में तुम भी पर्दादारी किया करो।

जिसके भड़कने से ये बस्ती जल जाये।
पैदा मत ऐसी चिंगारी किया करो।

नेताजी कुर्सी की हिफ़ाज़त ठीक है पर।
देश की भी तो पहरेदारी किया करो।

कड़वी बातों से माहौल बिगड़ता है।
बैठो पास तो बातें प्यारी किया करो।

अब्दुल जब्बार "शारिब" - झाँसी (उत्तरप्रदेश)

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