लखन भरत भजूँ जय हनुमान,
शत्रुघ्न मुदित दशरथ अभिराम।
दशरथनंदन जय बलराम।
सियापति सुखदायक श्याम,
भव्य मनोहर जय सियाराम।।
रत भक्ति प्रेम गुणगाहक राम।
विनत मर्यादित चरित्र प्रणाम,
शरणागतवत्सल सिया राम।
करुणेश अधिनायक श्रीराम।
मैथिलीश रिपुसूदन प्रणाम,
अभिनंदन स्वागत सिया राम।।
अधर मुस्कान खिले जन आम।
बने जाति धर्म निर्भेद वतन,
भजे प्रमुदित निकुंज श्रीराम।।
सूर्यकुलभूषण प्रभु अभिराम।
सहस्त्र वर्षों से बंदी तुम,
अब मुक्त पुनः अयोध्या ग्राम।।
स्व रामराज्य फिर लाओ राम।
लखन सहित रघुनाथ रमापति,
रघुरीति वचन बचाओ राम।।
न तजो धनुष संहारक राम।
बने विजेता कष्ट सहन कर,
सरयु तट निर्मल पावन धाम।।
सजी अयोध्या चारु सुनाम।
भाद्र माह भी ज्योर्तिमय शुभ,
जली दीपाली फिर अभिराम।।
प्रकटपाल जन मनसि सुखधाम।
रमा रमण जय रघुकुल भूषण,
खरदूषण मुक्ति दायक राम।।
होगा स्थापित अयोध्या धाम।
शान्ति सुखद समरस सद्भावन,
बन एक राष्ट्र जय सिय राम।।
भूमि पूजित होंगे श्रीराम।
भारत नायक करकमलों से,
बिराजेंगे फिर सीताराम।।
त्रेता युगी अवतारी राम।
चहुँदिश आलोकित हर्षित मन,
अवधपुरी हृदय विराजे राम।।
सफल वसुधा जीवन अभिराम।
बालि विनाशक रावण जेता,
शक्तिमान प्रलय संहारक राम।।
कपीश गुणी अतुलितबलधाम।
मारुतिपूत जय कृपा निधान ,
आंजनेय चित्त नित सियराम।।
सज धजी मनमोहक अभिराम।
राम लला झूले फिर झूला,
चारु चन्द्र अभिनव सिया राम।।
रविकुलभूषण शिरोमणि राम।
हो भारत में रामराज फिर,
श्री राम सुखद शान्ति अभिराम।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली