मन से मन का, तुम कर लो वंदन!
रीत के रथ पर, प्रीत के पथ का,
हाथ थामकर, कर लो अभिनंदन!
नई उमंग का, प्यार के रंग का,
थाम कर बांहे, कर लो आलिंगन!
सात वचन का, भीगे तन-मन का,
इस एक छूअन का, शत-शत वंदन!
लाज-शरम का, खिलते यौवन का,
अधरों ऊपर, तुम कर लो चुम्बन!
कपिलदेव आर्य - मण्डावा कस्बा, झुंझणूं (राजस्थान)