आखिर पाना क्या है मुझे
क्या हो गया है आखिर,
क्यों? नहीं कुछ मुझे सूझे।
कोई परेशानी मेरी,
आखिर क्यों नहीं बुझे
ठीक हैं न तू शेखर,
कोई नहीं मुझसे पूछे।
ऐसा भी कोई हैं भला,
जिनका हाल न शेखर पूछे
पर पता नहीं क्यों?
दर्द मेरा कोई यहाँ न बुझे।
आखिर पाना क्या है मुझे,
क्यों? नहीं कुछ सूझे।
शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)