भीगा देखो यौवन उसका!
चोली भीगी, आँचल भीगा,
और मदहौशी सावन भीगा!
अलकें भीगी, पलकें भीगी,
गोरी झूम- झूमकर भीगी !
चुनरी भीगी, काजल भीगा,
संग गोरी के बादल भीगा!
मेहंदी भीगी, पायल भीगी,
नृतक मन की कोयल भीगी!
सजनी भीगी, साजन भीगा,
आलिंगन में आनंद भीगा!
झील-सी गहरी आँखे भीगी,
अधर थिरकती साँसे भीगी!
स्निग्ध सुगंधित गजरा भीगा,
स्याह संयमित कजरा भीगा!
एक अकेला चाँद था भीगा,
गोरी का श्रंगार था भीगा!
स्पर्श भीगा, अनुभव भीगा,
छुअन का एहसास है भीगा!
कपिलदेव आर्य - मण्डावा कस्बा, झुंझणूं (राजस्थान)