मात्र धर्म के नाम पर लड़ाई क्यों होती,
कट रहे है ना जाने कितने लोग,
मंदिर-मस्जिद के नाम पर,
इंसानियत होती है अगर तो आज,
तो क्यों किसी दरिंदे की हाथ,
किसी बेटियों के आबरुओं पर उठती है,
ना जाने कितने दरिंदे इंसानियत के नाम,
पर नोच खाते है बच्चियों के जिस्म को,
इंसानियत होती है अगर तो आज,
क्यों कोई गरीब खाली पेट सोता है,
क्यों कोई हजार लाइटो के बीच रहता है,
और किसी को दिये का उजाला तक नहीं मिलता,
इंसानियत होती है अगर तो आज,
क्यों लोग अपनों से पैसो पर भरोसा करते है,
क्यों अपने ही हाथो अपने ही,
रिश्ते को कुचल देते है,
इंसानियत होती है अगर तो आज,
क्यों लोग अपनों को छोड़ कर,
पैसे के पीछे भागते,
क्यों लोग अपने फायदे के लिये किसी दूसरे का इस्तमाल करते है।
प्रिया पाण्डेय "अनन्या" - उत्तरपाड़ा (पश्चिम बंगाल)