माँ ने इजाजत दे दी
बेटा बहू के साथ चल दिया
हनीमून पर,
वह एक बार भी
माँ के अन्तर्मन को
जानने की कोशिश नही किया ।
बेटे के चेहरे को देखकर
माँ पढ़ लेती थी
तकलीफें,
आज उसी का बेटा
माँ को नही पढ़ पाया।
माँ सोचने लगी
"बेटा मैं कब इजाज़त दी !!
वो तो बस
तेरी दुविधा देखकर
हाँ बोल दी। "
"गर तू जाता सरहद पर
या किसी दीन-अबलों की सेवा में
या अंतरिक्ष में गुत्थियाँ सुलझाने
या किसी भी परोपकारी सेवा में
मैं सहज सहर्ष
अनुमति दे देती।"
"पर तू छोड़कर जा रहा है
बीमार पिता को,
अपाहिज माँ को,
अन्तः में आघात कर
जा फिर भी आशीष देती हूँ
तू सदा सुखी रहे।"
संजय राजभर "समित" - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)