सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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व्यवहार कुशलता है बुद्धिमत्ता का पैमाना - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
व्यवहार कुशलता है बुद्धिमत्ता का पैमाना - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
सोमवार, सितंबर 28, 2020
मनुष्य की बुद्धिमत्ता का पता उसके व्यवहार से चल जाता है। सामाजिक बुद्धिमत्ता अथवा व्यवहारिक बुद्धिमत्ता विशेष रूप से हमारे बहुत बड़े दिमाग का उपयोग के कारण प्रभावी ढंग से नेविगेट जटिल सामाजिक संबंधों पर बातचीत को समझना है।
बुद्धिमान मनुष्य व्यवहार कुशल तो होते ही हैं।
दूसरे की बुद्धिमत्ता का अंदाजा उसकी व्यवहार कुशलता से पता लगाया जा सकता है क्योंकि सामाजिक रूप से कुशल एवं सफल संचालन के लिए उचित प्रतिक्रिया करने के लिए बुद्धि एक व्यक्ति की छमता के रूप में विद्यमान होती है।
बुद्धिमत्ता से हम स्वयं की व दूसरों की भावनाओं को व्यक्त करने और नियंत्रित करने की योग्यता रखते हैं।
अपनी बुद्धिमत्ता के जरिए अपनी भावनाओं को समझना एवं उचित प्रबंधन करना ही सामाजिक सफलता है, यही भावनात्मक समझ होती है।
व्यक्ति अपनी भावनात्मक समझ का उपयोग कर सामने वाले व्यक्ति से ज्यादा अच्छी तरह से संवाद स्थापित कर सकता है और ज्यादा बेहतर परिणाम पा सकता है।
हम कह सकते हैं कि मनुष्य के व्यवहार से पता चल जाता है कि वह कितना बुद्धिमान है।
मनुष्य का व्यवहार ही उसका दर्पण होता है ।
यह अवश्य कह सकते हैं कि बुद्धिमत्ता को का तात्पर्य कागजी डिग्री से कदापि नहीं हो सकता। कम पढ़ा लिखा इंसान भी बड़े-बड़े डिग्री धारकों से कहीं अधिक अकलमंद हो सकता है।
बुद्धिमत्ता तो व्यक्ति की सजगता और अपने आसपास के वातावरण से सकारात्मक तत्वों को ग्रहण करने की व्यक्तिगत क्षमता पर निर्भर करती है। यही बुद्धिमत्ता मनुष्य के व्यवहार में दृष्टिगोचर होती है।
बुद्धिमान व्यक्ति हमेशा सतर्क एवं सजग रहते हैं। बुद्धि एक मानसिक शक्ति है जो तथ्यों को समझने एवं तर्क पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने में सहायक होती है, तथा मनुष्य के अनुकूलन में सहायक होती है।
बुद्धि के सामान्य कारक जन्मजात होते हैं जबकि विशिष्ट कारक अर्जित होते हैं और व्यवहार में प्रकट होते हैं ,जो व्यक्ति की हॉबी बन जाते हैं जैसे गायन, काव्य कला, वादन, नृत्य में रुचि होना इसके उदाहरण हैं।
बुद्धिमान व्यक्ति दूरदर्शी होता है वह समस्या की वजह समाधान पर विचार करता है।
बुद्धिमान व्यक्ति का व्यवहार ही उसकी असली पहचान है उसकी वाणी, आचरण और बॉडी लैंग्वेज उसकी सबसे बड़ी शक्ति होती है। उसको पता रहता है कि कहाँ कब और कितना बोलना है।
बुद्धिमान व्यक्ति के कार्य करने का अंदाज भी अलग होता है। अतः हम कह सकते हैं कि किसी की कार्यकुशलता से, व्यवहार कुशलता से उसके बुद्धिमत्ता का पता लगाया जा सकता है।
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