अलस तजे पथ उद्यमी, मिले सुयश मधुप्रीत।।१।।
स्वार्थ चित्त मद मोह जग, भूले सत् आचार।
कामी खल अवसाद बन, आतुर निज संहार।।२।।
प्रमुदित नित परहित मना, मानो प्रभु वरदान।
पलभर जीवन हो वतन, सुख परमुख मुस्कान।।३।।
दुर्जन हर्षित कलह में, निद्रा व्यसनी काम।
छल बल हिंसा क्रूरता, अविरत जग बदनाम।।४।।
सुरभि मधुर अन्तस्थली, परमारथ सत्काम।
खुशियाँ हों सबजन सुलभ, जीवन हो सुखधाम।।५।।
सबका जग कल्याण हो, न रोग मिले न शोक।
यश, वैभव सुख शान्ति हो, मिले ज्ञान आलोक।।६।।
सुख दुख में सब साथ हों, करें प्रगति सहयोग।
जीएँ भारत दिल वतन, सार्थक जीलन भोग।।७।।
व्यर्थ न हो जीवन मनुज, चिन्तन नव अवदान।
लोकतंत्र रक्षण वतन, मान शान दे जान।।८।।
रीति प्रीति समरस वतन, बने शक्ति अधिराज।
त्याग नीति सह न्याय पथ, बने पीड़ आवाज़।।९।।
सोम प्रभा मधु चन्द्रिका, शीतल शान्त निकुंज।
कुसुमित सरसिज अरुणिमा, सुरभित मधु अलिगूंज।।१०।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली