हम इन नन्हे मुन्नों की मिलकर तक़दीर बना देंगे।।
ये कुम्हार की गीली मिट्टी,
देना है आकार हमें।
इनके नन्हे सपनों को भी,
करना ह साकार हमें।।
एक सूत्र में बाँध सकें जो वो जंजीर बना देंगे।
चिंतन और मनन की ऐसी,
प्रतिभा जागृत करना है।
अब्बल हों हर बिषय क्षेत्र में,
क्षमता जागृत करना है।।
तोड़ सके न कोई कभी ऐसी प्राचीर बना देंगे।।
है सुभाष सा जोश भगत सा,
इनमें क्रांतिवीर कोई।
है गाँधी सा सत्यवीर,
शास्त्री सा शान्तिवीर कोई।।
जीत सका न झांसी वाली वो शमशीर बना देंगे।
हीरा हैं मोती हैं इनमे,
बस पहचानना बाँकी है।
बन जाएं हम जौहरी इनको,
बस तराशना बाँकी है।।
सबको तुलसी, मीर, रहीमा, सूर कबीर बना देंगे।
प्रदीप श्रीवास्तव - करैरा, शिवपुरी (मध्यप्रदेश)