कानन, उपवन हरियाली है,
कोयल की तान मधुर बिखरी
धरती लगती नूतन , निखरी।
मंजर महके, झूमे रसाल
है तरुण- देश भारत - विशाल।
फूलों पर मधुकर बौराता
रस की हाला जब पी आता,
सावन के मस्त झकोरों में
नाचे यौवन वन - मोरों में।
खिलता इंदीवर ताल - ताल
है तरुण - देश भारत - विशाल।
बहती तन छू शीतल बयार
मकरंद - गंध अनुपम, अपार,
अंचल उड़ता लहरा सर से
बहकी घाटी भर केसर से।
धानी चूनर है बेमिसाल
है तरुण - देश भारत - विशाल।
पावस रिमझिम झनकार हुई
सूखी नदियों में धार हुई,
पुलकित कूलों में स्वर- लहरी
उल्लसित, मग्न सरिता गहरी।
चमका सागर का प्रखर-भाल
है तरुण- देश भारत - विशाल।
नभ में तारों के खिले सुमन
गिरते शबनम की बूँदें बन,
सजती भारत की दिव्य -धरा
मोती से अंचल भरा - भरा।
प्राची बिखरा देती उजाल
है तरुण- देश भारत - विशाल।
अनिल मिश्र प्रहरी - पटना (बिहार)