डटे रहे, तो सितारे बदल जायेंगे!
देर से ही सही, मेहनत रंग लाती है,
चल पड़ोगे तो किनारे मिल जायेंगे !
हर रात के बाद, सुबह आती है,
ढूंढो तो सही, उजाले मिल जायेंगे!
तन्हाई में अपनों की तलब होती है,
दिल से पुकारो, तुम्हारे मिल जायेंगे!
चल पड़े हो तो भटकने का डर कैसा?
हौंसला रखो, रास्ते हज़ारों मिल जायेंगे!
जलाकर रखना, उम्मीदों के दीपक,
तन्हाइयों में कई सहारे मिल जायेंगे!
कपिलदेव आर्य - मण्डावा कस्बा, झुंझणूं (राजस्थान)