महबूब को भूल जाना
पंखे को डाँटना
फ़ोटो पर चिल्लाना.
तन्हा हो गया था मैं....
रोज़ नशे में डूबना,
सिगरेट जलाके बुझाना
हर रात जश्न की रात
सुबह ख़्वाहिशों का गला दबाना
तन्हा हो गया था मैं....
रूठना खुद से कभी
अश्क़ों से चेहरा सजाना
मुखबिरी दर्द की करना
इल्ज़ाम दिल पे लगाना
तन्हा हो गया था.....
दीवारों को थप्पड़ मारना
तकिये बिस्तर को सुलाना
चीखना रौशनी पर
अँधेरों को गले लगाना
तन्हा हो गया था मैं....
खत लिखना लहू से
खिड़कियों को पढ़ाना
अदावत दोस्तों से
किताबों से याराना
तन्हा हो गया था मैं.....
रोहित गुस्ताख़ - दतिया (मध्यप्रदेश)