डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली
चढ़ो सुमन बन निज वतन - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
बुधवार, अक्टूबर 14, 2020
जीवन है बहु कीमती, नश्वर पर बहुमूल्य।
पलभर का चितचोर जग, है अनमोल अतुल्य।।१।।
मणि मुक्ता धन सम्पदा, सब जीवन आलम्ब।
कर लो कुछ सत्काम जग, हो न जाए विलम्ब।।२।।
कर दो अर्पित जिंदगी, जन सेवा हित देश।
आन बान सम्मान बन, दो जीवन संदेश।।३।।
जीवन है सोपान पथ, सार्थवाह अनमोल।
त्याग राष्ट्र हित कीमती, जीवन यश रस घोल।।४।।
राष्ट्र प्रगति बहुमूल्य नित, दो जीवन अविराम।
कीर्ति सुधा रस पान कर, जीओ सुख अभिराम।।५।।
राष्ट्र भक्ति हो शक्ति मन, प्रीति नीति हो शस्त्र।
आत्मबली रथ साहसी, मौन धीर ब्रह्मास्त्र।।६।।
जीवन है खिलता सुमन, समझो देश निकुंज।
सुरभि समझ यशकौमुदी, भँवर देश जयगुंज।।७।।
हर कीमत जीवन वतन, रक्षा सीना तान।
दक्ष बनो हर क्षेत्र में, दो विकास अवदान।।८।।
हिन्द वतन नव भोर बन, करो प्रगति खग गान।
खिले कीर्ति कलियाँ कुसुम, महकें हिन्द महान।।९।।
वृथा न हो अनमोल तन, काटो निशि खल देश।
जीवन समझो कीमती, जग बहुमूल्य विशेष।।१०।।
नव पादप किसलय समझ, कँटिल विघ्न संघर्ष।
खिल प्रसून जीवन सुरभि, देवपूज्य उत्कर्ष।।११।।
हो सुपात्र बहुरंग जग, नव विकास नवरंग।
चढ़ो सुमन बन निज वतन, भारत ध्वजा तिरंग।।१२।।
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