संजय राजभर "समित" - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
पर्यावरण और गाँव - दोहा - संजय राजभर "समित"
मंगलवार, अक्टूबर 27, 2020
योगी रोगी हो गये, कहाँ करे अब वास?
दूषित पर्यावरण से, मुश्किल में है साँस।।
अब कहाँ है पात हरे, सावन में भी पीत।
मौसम है बदला हुआ, गुस्से में है मीत।।
ताल पोखर कहाँ गये, कहाँ घाट चौपाल?
कहाँ गई सहभागिता, कहाँ फकीरा चाल।।
सौदा है शादी नही, जहाँ अर्थ का बोल।
भौतिक दुनिया कर रही, दीन-हीन का तोल।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर